गणेशोत्सव 2010 रतलाम
यह कहानी दो पेंशनरों के समय व्यतीत करने को लेकर की जाने वाली कल्पना पर आधारित है।
इन दोनों पेंशनरों की कल्पना में दो पात्र हैं एक युवा व एक युवती अर्थात यतिन और क्षमा। दोनों पेंशनर युवक और युवती को क्रमशः अपना पुत्र व पुत्री मान लेते हैं। युवक-युवती एक ही कॉलेज में पढते हैं। धीरे-धीरे उन दोनों में प्रेम बढ.ता है फिर उनका विवाह होता है उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है फिर पारिवारिक समस्यायें बढते हुए उनके वैवाहिक जीवन में एक दिन संबध विच्छेद की नौबत आ जाती है।
इस बीच दोनों वृद्धों में अलग अलग घटनाओं पर बहस होती है और अंत में उन्हें एक दुखःद और कटु सत्य का सामना करना पडता है कि असल में तो वे दोनों निःसंतान हैं।
पात्र परिचय
बावडेकर-पेंशनर 1: सतीश मुंगरे
शिरगावकर-पेंशनर 2: गिरीश रिसबुड
यतिन-युवक : सागर डहाळे
क्षमा-युवती : गौरी गोलकोण्डा
ध्वनि संयोजन : तुषार मुंगरे
प्रकाश योजना : प्रमोद रिसबुड
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