आज रात्री 9:30 च्या सुमारास संगीत जलसा कार्यक्रम सुरू झाला। सौ.मुग्धा सामंत ह्यांनी आपल्या गायना मुळे रतलाम च्या श्रोत्यांना आपल्या नावा प्रमाणे मंत्रमुग्ध करून दिले। कार्यक्रमाच्या वेळेस आज रतलाम ला जोरदार पाउस झाला तरी सुद्धा संगीताची आवड ठेवणारे श्रोता पुर्ण हॉल भरून उपस्थित होते त्या मुळे सगळ्यांना खुपच आनंद झाला। कार्यक्रमाची विडियो क्लिप रेकार्डिंग बघण्यासाठी आरकुट कम्युनिटी Marathi Ratlam 457001 ज्याईन करावी।
समीक्षा श्री पद्माकर पागे की कलम से।
मुग्ध किया मुग्धा सामंत ने
मुग्ध किया मुग्धा सामंत ने
संगीत हमारी रगों में दौडता है हम ही हैं कि उसको अनुभव नहीं करते जब हमें इसका एहसास होगा आनंद की प्राप्ति होगी। संगीत तो अनंत की यात्रा है वह अध्यात्म की सुरमयी उड.ान है।
एैसा की कुछ अनुभव करा गई सौ. मुग्धा सामंत की संगीत निशा जो की महाराष्ट्र समाज में चल रहे सार्वजनिक गणेश उत्सव के अवसर पर आयोजित थी।
कार्यक्रम की शुरूआत राग सरस्वती से करते हुए एक ताल में निबंध रचना आए दरबार तिहारे को स्वर दिये। उसके बाद छोटा ख्याल साजन बीन कैसी बही में निराश की प्रस्तुति दी। उसके बाद राग दूर्गा में एक रचना गाते हुए भाव प्रकट किये। सखी मोरी संग झुमत चली में ताल और लय का अदभूत संगम हो रहा था जहाँ हारमोनियम पर श्री विवेक बंसोड की संगत थी वही ताल अर्थात तबले पर श्री अनिल अग्निहोत्री अपनी कला का जादू बिखेर रहे थे। और श्रोता थे की वाह वाह कर उठे। मुग्धा अपने रियाज. का जादू बिखेर रही थी। और श्रोता मंत्रमुग्ध हो सुन रहे थे। तथा करतल ध्वनि से गायिका की हौसला अफजाई कर रहे थे।
शास्त्रिय संगीत के दौर के बाद बारी थी भजन,अभंग,नाट्यगीतों की अभंग के बोल थे आम्ही विठ्ठलाचे वारकरी, ठायी ठायी विठ्ठल आता अंतरंग झाले पांडूरंग। आपने मास्टर दिनानाथ का एक नाट्यगीत प्रस्तुत किया।
जहां सभागार के बाहर बादल बरस रहे थे हर व्यक्ति इस वर्षा से प्रसन्न है उसका तनमन झुम रहा है ऐसे में मुग्धा कैसे पीछे रह सकती थी और स्वर दे दिये कारे कारे बादल बरसन लागे गीत को।
गीत भजन अभंगो की यह सुरमयी निशा एक अभंग के साथ समाप्त हुई। इसमें तानपूरे पर संगत कर रही थी राखी व्यास एवं स्मिता सिरालिया। कार्यक्रम के पश्चात गणेशोत्सव समिति ने सभी का आभार व्यक्त किया।
एैसा की कुछ अनुभव करा गई सौ. मुग्धा सामंत की संगीत निशा जो की महाराष्ट्र समाज में चल रहे सार्वजनिक गणेश उत्सव के अवसर पर आयोजित थी।
कार्यक्रम की शुरूआत राग सरस्वती से करते हुए एक ताल में निबंध रचना आए दरबार तिहारे को स्वर दिये। उसके बाद छोटा ख्याल साजन बीन कैसी बही में निराश की प्रस्तुति दी। उसके बाद राग दूर्गा में एक रचना गाते हुए भाव प्रकट किये। सखी मोरी संग झुमत चली में ताल और लय का अदभूत संगम हो रहा था जहाँ हारमोनियम पर श्री विवेक बंसोड की संगत थी वही ताल अर्थात तबले पर श्री अनिल अग्निहोत्री अपनी कला का जादू बिखेर रहे थे। और श्रोता थे की वाह वाह कर उठे। मुग्धा अपने रियाज. का जादू बिखेर रही थी। और श्रोता मंत्रमुग्ध हो सुन रहे थे। तथा करतल ध्वनि से गायिका की हौसला अफजाई कर रहे थे।
शास्त्रिय संगीत के दौर के बाद बारी थी भजन,अभंग,नाट्यगीतों की अभंग के बोल थे आम्ही विठ्ठलाचे वारकरी, ठायी ठायी विठ्ठल आता अंतरंग झाले पांडूरंग। आपने मास्टर दिनानाथ का एक नाट्यगीत प्रस्तुत किया।
जहां सभागार के बाहर बादल बरस रहे थे हर व्यक्ति इस वर्षा से प्रसन्न है उसका तनमन झुम रहा है ऐसे में मुग्धा कैसे पीछे रह सकती थी और स्वर दे दिये कारे कारे बादल बरसन लागे गीत को।
गीत भजन अभंगो की यह सुरमयी निशा एक अभंग के साथ समाप्त हुई। इसमें तानपूरे पर संगत कर रही थी राखी व्यास एवं स्मिता सिरालिया। कार्यक्रम के पश्चात गणेशोत्सव समिति ने सभी का आभार व्यक्त किया।
5 comments:
उत्तम रिपोर्टिंग आहे तुमची, तसेच पागे साहेबांची समीक्षा सुद्धा आवड़ली… महाराष्ट्र समाजाच्या गणरायांचे समस्त वर्णन वाचून जुने दिवस आठवले, जेव्हां मी रतलाम ला होतो…
khupach chhan .....pratyek programme chi reporting aani prastutikaran internet var darjedar pane kelele aahe hardik shubhechchha
farach chhan aani kaljipurvak net var sampadan kele aahe.... from satish bhave
u have done a very very excellent work... hope u will continue in future with more coverage--satish bhave
उत्तम रिपोर्टिंग, हार्दिक शुभेच्छा
मुकेश बंसोडे
Post a Comment