Thursday, August 27, 2009

गणेशोत्‍सव 2009-दिवस 5 - व्‍याख्‍यान-श्री सुभाष रानडे.

विषयः- पडोसी राष्‍ट्रों से हमारे संबंध, दशा और दिशा

समीक्षा श्री पद्‌माकर पागे की कलम से।
आज रात मी मराठी साप्‍ताहिक समाचार पत्र के संपादक श्री सुभाष रानडे. ने महाराष्‍ट्र समाज में चल रहे सार्वजनिक गणेशोत्‍सव में पडोसी राष्‍ट्रों से हमारे संबंध, दशा और दिशा विषय पर व्‍याख्‍यान देते हुए कहा की पडोसी अच्‍छा हो यह हमारी अपेक्षा होती है कहते हैं पडोसी पहला रिश्‍तेदार होता है यही बात पडोसी राष्‍ट्र के साथ लागू होती है।
हमारी निगाह पडोसी पर हो, और उसे देखकर ही निर्णय लिया जाय कि उससे हमारे संबंध कैसे हो? दो हजार सालों तक हमने कष्‍ट झेले हैं। रिश्‍तों का नियम है कि ताकतवर से रिश्‍ता रखो और यह हो भी रहा है। हममें ताकत होगी तो कोई भी देश हमें टेढी निगाह से नहीं देख सकता है। ऐसे में कुटनीतिक कौशल और राजनीतिक चातुर्य की जरूरत है।
कार्यक्रम के पश्‍चात उपस्‍थित श्रोताओं ने अपनी जिज्ञासाएं भी रखी जिनका समाधान करने का प्रयत्‍न श्री सुभाष रानडे. ने किया।


व्‍याख्‍यान-श्री सुभाष रानडे.
प्रश्‍न विचारताना श्री सतीश भावे
प्रश्‍न विचारताना श्री नरेन्‍द्र त्रिवेदी

उपस्‍थित श्रोता

1 comment:

navyugbodh said...

only one word "excellent"- from satish bhave