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Sunday, December 6, 2009
Tuesday, November 24, 2009
नकली नोटों की पहचान व घरेलू दुर्घटनाओ में सावधानी-2।
श्री वसंत थत्ते ने कल यहाँ एक शिक्षाप्रद कार्यक्रम के अंतर्गत स्थानीय नागरिकों को घरों में होने वाली विभिन्न दुर्घटनाओ से बचाव व सावधानिया एवं नकली नोट की पहचान आदि विषयों पर अत्यंत सारगर्भित जानकारियां दी।
अपने उदबोधन में उन्होने आज के वैज्ञानिक युग की विभिन्न प्रकार की मशीनों जैसे गैस (चुल्हा), प्रेशर कुकर, विभिन्न विद्युत उपकरण आदि, इनके इस्तेमाल से संबंधित सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण बातों की और धाय्नाकर्षण किया।
साथ ही आज की वर्तमान समस्या नकली व असली नोट को किस प्रकार पहचाना जावे, नोट बनने की प्रक्रिया आदि के संबंध में भी महत्वपूर्ण जानकारी से नागरिकों को अवगत कराया। इस प्रकार के अच्छे और शिक्षाप्रद कार्यक्रम में विभिन्न कारणों से नागरिकों की अपेक्षा से कम उपस्थिती ने निराश किया।
Sunday, November 22, 2009
नकली नोटों की पहचान व घरेलू दुर्घटनाओ में सावधानी।
नकली नोटों की पहचान एवं घरों में होने वाली विभिन्न दुर्घटनाओ से सावधानी व बचाव के बारे में उपयोगी जानकारी।
महाराष्ट्र समाज रतलाम के शिवाजी हॉल में दिनांक 23/11/2009 सोमवार को रात्री 8 बजे श्री वसंत थत्ते , मुंबई का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम नकली नोटों की पहचान एवं घरों में होने वाली विभिन्न दुर्घटनाओ से सावधानी व बचाव के बारे में उपयोगी जानकारी इस विषय पर होने जा रहा है। आप सभी सादर आमंत्रित हैं। कृपया यह जानकारी अन्य मित्रों तक पहुचाने में मदद करें। धन्यवाद!!!
Tuesday, October 6, 2009
Monday, October 5, 2009
Sunday, October 4, 2009
Saturday, October 3, 2009
Saturday, September 12, 2009
Thursday, September 3, 2009
गणेशोत्सव 2009-दिवस 12 - श्रीं चे विसर्जन
श्रीं ची आरती करताना अनिल पेंडसे ( ब्लागर , मराठी जगत रतलाम )
विसर्जनासाठी एकत्रित झालेले गणपति।
ट्रेक्टर ट्रॉली मधे झाकी तयार केली।
छोट्या मुलांना झाकी मागे फिरायला ट्रक ची व्यवस्था होती।
कार्यकर्ता नाचताना
छोट्या मुलांना ही मजा आला
Wednesday, September 2, 2009
गणेशोत्सव 2009-दिवस 11 - 3 नाटक ‘‘प्रदुषण''
पात्रः- पराग रामपुरकर, विरेन्द्र कुलकर्णी, मनोज काळे,अविनाश कासर,भगवान सिंह महावर, दिलीप कुलकर्णी, राजेश मीणा
गणेशोत्सव 2009-दिवस 11 - 2 नाटक ‘‘येरे-येरे पाहुण्या''
नाटक ‘‘येरे-येरे पाहुण्या'' अर्थात आ-रे आ-रे मेहमान का मंचन लेखक,दिग्दर्शक व कलाकार श्री दिलीप कुलकर्णी के निर्देशन में हुआ।
इसी प्रकार एक जनगणना अधिकारी जब उनके घर जनगणना की जानकारी एकत्रित करने आता है तब उसके साथ भी अत्यंत कंजूसी भरा व्यवहार किया जाता है।
लेकिन आने वाला पहला मेहमान भी कम नहीं होता वह एक अन्य व्यक्ति को भेजकर उस परिवार को सूचना देता है कि उनको दस लाख रूपये की लाटरी लगी है जिसे प्राप्त करने के लिये उन्हें पहले दस हजार रूपये भरना होंगे और एक फार्म साईन करना होगा। लालची मुखिया विभिन्न मेहमानों को लूटकर आज तक एकत्रित रूपये लाटरी वाले के हाथ दे देता है। नाटक के अंत में लाटरी के धोखे में बच्चे गोद लेने वाला फार्म साईन करने से, उसके घर गोद लिये गये बच्चों की एक फौज आ जाती है जिसका पालन पोषण अब उसे ही करना होता है।
नाटक में हास्य विनोद के साथ ही कलाकारों का उम्दा अभिनय दर्शकों को आनंद की अनुभूति करा गया। उल्लेखनीय है कि लगभग एक दशक के अंतराल से स्थानीय कलाकारों, लेखक दिग्दर्शक के व्दारा किया गया प्रयास दर्शकों को बहुत पसंद आया।
मेहमान से रूपये झटकने हेतु उसकी आरती उतारते हुए
मेहमान को विभिन्न प्रकार से उल्लु बनाने का प्रयास
मेहमान का सारा सामान गायब
जनगणना अधिकारी के साथ कंजुसी भरा व्यवहार
लॉटरी वाला आया
लॉटरी वाले को दस हजार का बैग सौंपा
पहला मेहमान पुनः प्रकट होकर लॉटरी की बधाई देते हुए
गोद लिये बच्चों की फौज
पराग रामपुरकर, महेश कस्तूरे एवं प्रशांत शौचे
गणेशोत्सव 2009-दिवस 11 - 1 नाटक ‘‘शोर''
सड.कों पर वाहनों की आवाज से होने वाला प्रदुषण (जैसे दुधवाले की मोटरसायकिल बिना सायलेंसर या जानबूझकर फाडे गये सायलेंसर के साथ), विभिन्न प्रकार के चित्र-विचित्र आवाज वाले हार्न आदि से ध्वनि प्रदुषण।
शादी बारात का दृश्य जिस परिवार में शादी-बारात जैसा कार्यक्रम होता है वो यह समझने लगते हैं कि बस अब पूरे शहर को हम लाउडस्पीकर की आवाज से हिला कर रख देंगे। इसी में अपनी शान समझते हैं।
शहर के मध्य में चल रहे कारखाने भी ध्वनि प्रदुषण का कारण बन रहे हैं। यह वाकई आश्चर्य का विषय है कि इन कारखानों को कैसे लाससेंस मिल जाता है।
नेताओं के व्दारा भीड. एकत्रित कर जबरन सड.क पर जाम व लाउडस्पीकर से शोर मचाना, जबकी एक बार चुनाव हो जाने पर इनके कान पर जूँ भी नहीं रेंगती है।
भजन मंडलों के व्दारा होने वाला शोर देर रात तक विभिन्न प्रकार के भजन, सुंदरकांड व अन्य धार्मिक कार्यक्रमों की आड. में शोर मचाना, विद्यार्थियों, रोगियों के साथ सामान्य व्यक्ति को भी एक मानसिक त्रास दे जाता है।
अंतिम संदेश आखिर ये सब कब तक ऐसा ही सहन करेंगे हम लोग, आईये हम सब मिलकर प्रतिज्ञा करें कि इस प्रकार के कार्यक्रमों में किसी भी प्रकार का सहयोग न करते हुए वरन् इसके खिलाफ खुलकर विरोध प्रकट करेंगे।
विशेषः- आप ध्यान दें की हमारे समाज भवन में होने वाले कार्यक्रमों की आवाज सड.क पर ना के बराबर सुनाई देती है जो यह साबित करता है की हम एक शिक्षित व सभ्य समाज के सदस्य हैं। आपके इस संदेश के साथ मराठी जगत रतलाम की और से अनेकानेक शुभकामनांएं!!