आज रात तीन अलग-अलग नाटकों का मंचन किया गया। जिसमें सबसे पहला नाटक ‘‘शोर'' हिन्दी भाषा में था। जिसकी प्रस्तुति युगबोध, रतलाम के तत्वावधान में श्री ओ.पी.मिश्रा के निर्देशन में हुई। आज के परिदृश्य में ध्वनि प्रदुषण को लेकर एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश दर्शकों तक पहुँचाया गया। नाटक में विभिन्न दृश्यों को समायोजित करने का प्रयत्न रहा। जैसे
सड.कों पर वाहनों की आवाज से होने वाला प्रदुषण (जैसे दुधवाले की मोटरसायकिल बिना सायलेंसर या जानबूझकर फाडे गये सायलेंसर के साथ), विभिन्न प्रकार के चित्र-विचित्र आवाज वाले हार्न आदि से ध्वनि प्रदुषण।
शादी बारात का दृश्य जिस परिवार में शादी-बारात जैसा कार्यक्रम होता है वो यह समझने लगते हैं कि बस अब पूरे शहर को हम लाउडस्पीकर की आवाज से हिला कर रख देंगे। इसी में अपनी शान समझते हैं।
शहर के मध्य में चल रहे कारखाने भी ध्वनि प्रदुषण का कारण बन रहे हैं। यह वाकई आश्चर्य का विषय है कि इन कारखानों को कैसे लाससेंस मिल जाता है।
नेताओं के व्दारा भीड. एकत्रित कर जबरन सड.क पर जाम व लाउडस्पीकर से शोर मचाना, जबकी एक बार चुनाव हो जाने पर इनके कान पर जूँ भी नहीं रेंगती है।
भजन मंडलों के व्दारा होने वाला शोर देर रात तक विभिन्न प्रकार के भजन, सुंदरकांड व अन्य धार्मिक कार्यक्रमों की आड. में शोर मचाना, विद्यार्थियों, रोगियों के साथ सामान्य व्यक्ति को भी एक मानसिक त्रास दे जाता है।
अंतिम संदेश आखिर ये सब कब तक ऐसा ही सहन करेंगे हम लोग, आईये हम सब मिलकर प्रतिज्ञा करें कि इस प्रकार के कार्यक्रमों में किसी भी प्रकार का सहयोग न करते हुए वरन् इसके खिलाफ खुलकर विरोध प्रकट करेंगे।
सड.कों पर वाहनों की आवाज से होने वाला प्रदुषण (जैसे दुधवाले की मोटरसायकिल बिना सायलेंसर या जानबूझकर फाडे गये सायलेंसर के साथ), विभिन्न प्रकार के चित्र-विचित्र आवाज वाले हार्न आदि से ध्वनि प्रदुषण।
शादी बारात का दृश्य जिस परिवार में शादी-बारात जैसा कार्यक्रम होता है वो यह समझने लगते हैं कि बस अब पूरे शहर को हम लाउडस्पीकर की आवाज से हिला कर रख देंगे। इसी में अपनी शान समझते हैं।
शहर के मध्य में चल रहे कारखाने भी ध्वनि प्रदुषण का कारण बन रहे हैं। यह वाकई आश्चर्य का विषय है कि इन कारखानों को कैसे लाससेंस मिल जाता है।
नेताओं के व्दारा भीड. एकत्रित कर जबरन सड.क पर जाम व लाउडस्पीकर से शोर मचाना, जबकी एक बार चुनाव हो जाने पर इनके कान पर जूँ भी नहीं रेंगती है।
भजन मंडलों के व्दारा होने वाला शोर देर रात तक विभिन्न प्रकार के भजन, सुंदरकांड व अन्य धार्मिक कार्यक्रमों की आड. में शोर मचाना, विद्यार्थियों, रोगियों के साथ सामान्य व्यक्ति को भी एक मानसिक त्रास दे जाता है।
अंतिम संदेश आखिर ये सब कब तक ऐसा ही सहन करेंगे हम लोग, आईये हम सब मिलकर प्रतिज्ञा करें कि इस प्रकार के कार्यक्रमों में किसी भी प्रकार का सहयोग न करते हुए वरन् इसके खिलाफ खुलकर विरोध प्रकट करेंगे।
विशेषः- आप ध्यान दें की हमारे समाज भवन में होने वाले कार्यक्रमों की आवाज सड.क पर ना के बराबर सुनाई देती है जो यह साबित करता है की हम एक शिक्षित व सभ्य समाज के सदस्य हैं। आपके इस संदेश के साथ मराठी जगत रतलाम की और से अनेकानेक शुभकामनांएं!!
कार्यक्रम की कुछ झलकियाँ
1 comment:
Sundar Prayaas.
( Treasurer-S. T. )
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