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Saturday, September 12, 2009
Thursday, September 3, 2009
गणेशोत्सव 2009-दिवस 12 - श्रीं चे विसर्जन
आज संध्याकाळी 6:30 च्या सुमारास सगळे लोक समाज भवनात श्रींच्या विसर्जना साठी एकुट झाले। त्या नंतर संध्याकाळची आरती करून विसर्जनाची तयारी सुरू केली।
श्रीं ची आरती करताना अनिल पेंडसे ( ब्लागर , मराठी जगत रतलाम )
विसर्जनासाठी एकत्रित झालेले गणपति।
ट्रेक्टर ट्रॉली मधे झाकी तयार केली।
छोट्या मुलांना झाकी मागे फिरायला ट्रक ची व्यवस्था होती।
अरे!!!!! पण एवढ्यात जोरदार पाउस सुरू झाला आणी समाजाबाहेर उभे असलेले सर्व लोक परत समाज भवनात आले। पाउस चांगलाच जोरानी आला होता आणि थांबण्याचे काही लक्षण दिसत नव्हते। ........ आता काय करायचे ?.?.?.???? ढोल वाल्या ला सांगितले हॉल मधेच नाचू गाउ या।
कार्यकर्ता नाचताना
छोट्या मुलांना ही मजा आला
Wednesday, September 2, 2009
गणेशोत्सव 2009-दिवस 11 - 3 नाटक ‘‘प्रदुषण''
तीसरा नाटक प्रदुषण का भी सफल मंचन स्थानीय कलाकारों ने किया जिसमें पर्यावरण को संभालने, सहेजने का एक अत्यंत साययिक संदेश दिया गया।
निर्देशक दिलीप कुलकर्णी
पात्रः- पराग रामपुरकर, विरेन्द्र कुलकर्णी, मनोज काळे,अविनाश कासर,भगवान सिंह महावर, दिलीप कुलकर्णी, राजेश मीणा
पात्रः- पराग रामपुरकर, विरेन्द्र कुलकर्णी, मनोज काळे,अविनाश कासर,भगवान सिंह महावर, दिलीप कुलकर्णी, राजेश मीणा
कार्यक्रम की कुछ झलकियाँ
गणेशोत्सव 2009-दिवस 11 - 2 नाटक ‘‘येरे-येरे पाहुण्या''
हिन्दी भाषी पाठकों की विशेष मांग पर ब्लाग लेखक व्दारा समीक्षा हिन्दी में दी जा रही है।
नाटक ‘‘येरे-येरे पाहुण्या'' अर्थात आ-रे आ-रे मेहमान का मंचन लेखक,दिग्दर्शक व कलाकार श्री दिलीप कुलकर्णी के निर्देशन में हुआ।
नाटक ‘‘येरे-येरे पाहुण्या'' अर्थात आ-रे आ-रे मेहमान का मंचन लेखक,दिग्दर्शक व कलाकार श्री दिलीप कुलकर्णी के निर्देशन में हुआ।
कार्यक्रमाची विडियो क्लिप रेकार्डिंग बघण्यासाठी आरकुट कम्युनिटी Marathi Ratlam 457001 ज्याईन करावी।
नाटक मराठी भाषा में होकर एक ऐसे परिवार का था जिसमें मुखिया अंधविश्वासी व अत्यंत कंजूस प्रवृत्ती का होकर घर आने वाले मेहमान को लूटता है। मेहमान के घर पहुँचते ही वह उसकी पत्नी व बच्चे सहित उसकी तब तक आरती उतारते ही रहते हैं जब तक मेहमान आरती की थाली में कुछ रूपये नहीं रख देता, उसके पश्चात उनका बेटा मेहमान के पैर तब तक छूता ही रहता है जब तक मेहमान बच्चे के हाथ में कुछ रूपये नहीं रख देता, इतना ही नहीं मेहमान व्दारा लाये गये साबुन, तेल, क्रीम आदि पर भी परिवार के लोग हाथ साफ कर देते हैं। इस प्रकार धीरे धीरे उसके जाने के पहले उसका सारा सामान ही साफ कर देते हैं।
इसी प्रकार एक जनगणना अधिकारी जब उनके घर जनगणना की जानकारी एकत्रित करने आता है तब उसके साथ भी अत्यंत कंजूसी भरा व्यवहार किया जाता है।
लेकिन आने वाला पहला मेहमान भी कम नहीं होता वह एक अन्य व्यक्ति को भेजकर उस परिवार को सूचना देता है कि उनको दस लाख रूपये की लाटरी लगी है जिसे प्राप्त करने के लिये उन्हें पहले दस हजार रूपये भरना होंगे और एक फार्म साईन करना होगा। लालची मुखिया विभिन्न मेहमानों को लूटकर आज तक एकत्रित रूपये लाटरी वाले के हाथ दे देता है। नाटक के अंत में लाटरी के धोखे में बच्चे गोद लेने वाला फार्म साईन करने से, उसके घर गोद लिये गये बच्चों की एक फौज आ जाती है जिसका पालन पोषण अब उसे ही करना होता है।
नाटक में हास्य विनोद के साथ ही कलाकारों का उम्दा अभिनय दर्शकों को आनंद की अनुभूति करा गया। उल्लेखनीय है कि लगभग एक दशक के अंतराल से स्थानीय कलाकारों, लेखक दिग्दर्शक के व्दारा किया गया प्रयास दर्शकों को बहुत पसंद आया।
इसी प्रकार एक जनगणना अधिकारी जब उनके घर जनगणना की जानकारी एकत्रित करने आता है तब उसके साथ भी अत्यंत कंजूसी भरा व्यवहार किया जाता है।
लेकिन आने वाला पहला मेहमान भी कम नहीं होता वह एक अन्य व्यक्ति को भेजकर उस परिवार को सूचना देता है कि उनको दस लाख रूपये की लाटरी लगी है जिसे प्राप्त करने के लिये उन्हें पहले दस हजार रूपये भरना होंगे और एक फार्म साईन करना होगा। लालची मुखिया विभिन्न मेहमानों को लूटकर आज तक एकत्रित रूपये लाटरी वाले के हाथ दे देता है। नाटक के अंत में लाटरी के धोखे में बच्चे गोद लेने वाला फार्म साईन करने से, उसके घर गोद लिये गये बच्चों की एक फौज आ जाती है जिसका पालन पोषण अब उसे ही करना होता है।
नाटक में हास्य विनोद के साथ ही कलाकारों का उम्दा अभिनय दर्शकों को आनंद की अनुभूति करा गया। उल्लेखनीय है कि लगभग एक दशक के अंतराल से स्थानीय कलाकारों, लेखक दिग्दर्शक के व्दारा किया गया प्रयास दर्शकों को बहुत पसंद आया।
कलाकारः- दिलीप कुलकर्णी, श्रीमती रेखा घोडके, सतीश भावे,
पराग रामपुरकर, महेश कस्तूरे एवं प्रशांत शौचे
कार्यक्रम की कुछ झलकियाँ
मेहमान से रूपये झटकने हेतु उसकी आरती उतारते हुए
मेहमान से रूपये झटकने हेतु पैर पडते बेटा
मेहमान को विभिन्न प्रकार से उल्लु बनाने का प्रयास
मेहमान का सारा सामान गायब
जनगणना अधिकारी के साथ कंजुसी भरा व्यवहार
लॉटरी वाला आया
लॉटरी वाले को दस हजार का बैग सौंपा
पहला मेहमान पुनः प्रकट होकर लॉटरी की बधाई देते हुए
गोद लिये बच्चों की फौज
मेहमान को विभिन्न प्रकार से उल्लु बनाने का प्रयास
मेहमान का सारा सामान गायब
जनगणना अधिकारी के साथ कंजुसी भरा व्यवहार
लॉटरी वाला आया
लॉटरी वाले को दस हजार का बैग सौंपा
पहला मेहमान पुनः प्रकट होकर लॉटरी की बधाई देते हुए
गोद लिये बच्चों की फौज
कलाकारः- दिलीप कुलकर्णी, श्रीमती रेखा घोडके, सतीश भावे,
पराग रामपुरकर, महेश कस्तूरे एवं प्रशांत शौचे
पराग रामपुरकर, महेश कस्तूरे एवं प्रशांत शौचे
गणेशोत्सव 2009-दिवस 11 - 1 नाटक ‘‘शोर''
आज रात तीन अलग-अलग नाटकों का मंचन किया गया। जिसमें सबसे पहला नाटक ‘‘शोर'' हिन्दी भाषा में था। जिसकी प्रस्तुति युगबोध, रतलाम के तत्वावधान में श्री ओ.पी.मिश्रा के निर्देशन में हुई। आज के परिदृश्य में ध्वनि प्रदुषण को लेकर एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश दर्शकों तक पहुँचाया गया। नाटक में विभिन्न दृश्यों को समायोजित करने का प्रयत्न रहा। जैसे
सड.कों पर वाहनों की आवाज से होने वाला प्रदुषण (जैसे दुधवाले की मोटरसायकिल बिना सायलेंसर या जानबूझकर फाडे गये सायलेंसर के साथ), विभिन्न प्रकार के चित्र-विचित्र आवाज वाले हार्न आदि से ध्वनि प्रदुषण।
शादी बारात का दृश्य जिस परिवार में शादी-बारात जैसा कार्यक्रम होता है वो यह समझने लगते हैं कि बस अब पूरे शहर को हम लाउडस्पीकर की आवाज से हिला कर रख देंगे। इसी में अपनी शान समझते हैं।
शहर के मध्य में चल रहे कारखाने भी ध्वनि प्रदुषण का कारण बन रहे हैं। यह वाकई आश्चर्य का विषय है कि इन कारखानों को कैसे लाससेंस मिल जाता है।
नेताओं के व्दारा भीड. एकत्रित कर जबरन सड.क पर जाम व लाउडस्पीकर से शोर मचाना, जबकी एक बार चुनाव हो जाने पर इनके कान पर जूँ भी नहीं रेंगती है।
भजन मंडलों के व्दारा होने वाला शोर देर रात तक विभिन्न प्रकार के भजन, सुंदरकांड व अन्य धार्मिक कार्यक्रमों की आड. में शोर मचाना, विद्यार्थियों, रोगियों के साथ सामान्य व्यक्ति को भी एक मानसिक त्रास दे जाता है।
अंतिम संदेश आखिर ये सब कब तक ऐसा ही सहन करेंगे हम लोग, आईये हम सब मिलकर प्रतिज्ञा करें कि इस प्रकार के कार्यक्रमों में किसी भी प्रकार का सहयोग न करते हुए वरन् इसके खिलाफ खुलकर विरोध प्रकट करेंगे।
सड.कों पर वाहनों की आवाज से होने वाला प्रदुषण (जैसे दुधवाले की मोटरसायकिल बिना सायलेंसर या जानबूझकर फाडे गये सायलेंसर के साथ), विभिन्न प्रकार के चित्र-विचित्र आवाज वाले हार्न आदि से ध्वनि प्रदुषण।
शादी बारात का दृश्य जिस परिवार में शादी-बारात जैसा कार्यक्रम होता है वो यह समझने लगते हैं कि बस अब पूरे शहर को हम लाउडस्पीकर की आवाज से हिला कर रख देंगे। इसी में अपनी शान समझते हैं।
शहर के मध्य में चल रहे कारखाने भी ध्वनि प्रदुषण का कारण बन रहे हैं। यह वाकई आश्चर्य का विषय है कि इन कारखानों को कैसे लाससेंस मिल जाता है।
नेताओं के व्दारा भीड. एकत्रित कर जबरन सड.क पर जाम व लाउडस्पीकर से शोर मचाना, जबकी एक बार चुनाव हो जाने पर इनके कान पर जूँ भी नहीं रेंगती है।
भजन मंडलों के व्दारा होने वाला शोर देर रात तक विभिन्न प्रकार के भजन, सुंदरकांड व अन्य धार्मिक कार्यक्रमों की आड. में शोर मचाना, विद्यार्थियों, रोगियों के साथ सामान्य व्यक्ति को भी एक मानसिक त्रास दे जाता है।
अंतिम संदेश आखिर ये सब कब तक ऐसा ही सहन करेंगे हम लोग, आईये हम सब मिलकर प्रतिज्ञा करें कि इस प्रकार के कार्यक्रमों में किसी भी प्रकार का सहयोग न करते हुए वरन् इसके खिलाफ खुलकर विरोध प्रकट करेंगे।
विशेषः- आप ध्यान दें की हमारे समाज भवन में होने वाले कार्यक्रमों की आवाज सड.क पर ना के बराबर सुनाई देती है जो यह साबित करता है की हम एक शिक्षित व सभ्य समाज के सदस्य हैं। आपके इस संदेश के साथ मराठी जगत रतलाम की और से अनेकानेक शुभकामनांएं!!
कार्यक्रम की कुछ झलकियाँ
Tuesday, September 1, 2009
गणेशोत्सव 2009-दिवस 10 - फेंसी ड्रेस, पारितोषिक वितरण
आज रात बच्चों ने बहुत ही आकर्षक तरीके से फेंसी ड्रेस का कार्यक्रम प्रस्तुत किया। सभी उपस्थित दर्शकों ने छोटे-छोटे, भोले-भाले बाल कलाकारों के व्दारा बनाई गई वेशभूषा की सराहना की। कोई सब्जीवाली बाई, तो कोई मछुआरीन, बम भोले, गणपति, बाबा रामदेव और भी बहुत कुछ। इस अवसर पर उच्च अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थीयों को शैक्षणिक पुरस्कार भी दिये गये। अंत में अतिथियों ने पुरस्कार वितरण किया।
कार्यक्रम की कुछ झलकियाँ
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