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Sunday, September 25, 2011
Sunday, September 11, 2011
Saturday, September 10, 2011
नाटक- चव कशी आहे
नाटक- चव कशी आहे
विडियो पण उपलब्ध आहे।
महाराष्ट्र समाज रतलाम येथे आज रात्री 9 च्या सुमारास नाट्य भारती इंदुर तर्फे एक हास्य नाटक ‘चव कशी आहे’ सादर केले गेले। नाटकाचे लेखक स्व. श्री बाबा डिके असून श्री श्रीराम जोग ह्यांनी निर्देशन केले आहे। आजचे नाटक वर्तमान स्थिती वर आधारित असून सर्वांना खूपच आवडले।
नाटक चव कशी आहे
लेखक स्व. श्री बाबा डिके
निर्देशक श्री श्रीराम जोग
पात्र परिचय
पात्र - कलाकार
राव साहेब- श्रीराम जोग,
पत्नी रत्ना - सौ. दिपाली दाते,
पुत्री बेला - कु. श्वेता केतकर
कपिलेश्वर - जय हार्डिया
इंस्पेक्टर फुकट - प्रफुल्ल जैन
डॉ. प्रिति भोजपुरी - कु. श्रुतिका जोग
प्रा. भुसारी - विकास डिंडोरकर
नन्था लक्कड - नरेन्द्र वझे
पोस्ट मास्टर - अभिजित करमरकर
नकली जांच अधिकारी राजु - शुभम लोकरे
नाटक मराठी मधे होते पण समीक्षा हिंदी मित्रांना किंवा स्थानीय वर्तमानपत्रांना पण उपलब्ध व्हायला हवी म्हणून हिंदीत सादर आहे।लेखक स्व. श्री बाबा डिके
निर्देशक श्री श्रीराम जोग
पात्र परिचय
पात्र - कलाकार
राव साहेब- श्रीराम जोग,
पत्नी रत्ना - सौ. दिपाली दाते,
पुत्री बेला - कु. श्वेता केतकर
कपिलेश्वर - जय हार्डिया
इंस्पेक्टर फुकट - प्रफुल्ल जैन
डॉ. प्रिति भोजपुरी - कु. श्रुतिका जोग
प्रा. भुसारी - विकास डिंडोरकर
नन्था लक्कड - नरेन्द्र वझे
पोस्ट मास्टर - अभिजित करमरकर
नकली जांच अधिकारी राजु - शुभम लोकरे
किसी एक शहर में अचानक पता चलता है कि दिल्ली से कोई जांच अधिकारी शहर के प्रशासनिक कार्यों का निरिक्षण करने के लिये गोपनीय रूप से आया है और छोटे से होटल में छद्मवेश में ठहरा है। यह खबर वहॉं के भ्रष्ट अधिकारियों को प्राप्त होते ही वे लोग उसे ढुंढते हैं। इन अधिकारियों के मुखिया ‘राव साहेब’ एक भ्रष्टाचारी है वे स्वयं और उनकी टीम इस जांच अधिकारी की आवभगत में लग जाती है जब की ये लोग जिस व्यक्ति को जांच अधिकारी समझ कर रिश्वत दे रहे हैं वो कोई जांच अधिकारी ना होते हुए किसी नाटक कंपनी का अभिनेता है वो भी प्रत्यक्ष जीवन में अभिनय करने की इस संधी को नहीं छोडता है। और इन भ्रष्ट अधिकारियों को बेवकुफ बना कर निकल जाता है। भ्रष्टाचारियों को सजा देने वाली इस मुहिम में ‘राव साहेब’ की लडकी भी जान बूझकर उसे सपोर्ट करती है।
इस सारी परिस्थिति में नाटक में हास्य घटनाओं का एक प्रवाह सा बहता रहता है। साथ में यह संदेश भी जाता है हमारे घर से ही भ्रष्टाचार के विरोध में माहौल बनाये तो ही समाज में व्याप्त इस बुराई का अंत हो सकता है।
कार्यक्रम की कुछ यादें
विडियो पण उपलब्ध ।
Friday, September 9, 2011
Thursday, September 8, 2011
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